आज हाईटेक दुनियां की भाग-दौड़ में अपने प्रियजनों व रिश्तेदारों को भूलते जा रहे हैं.आज हम उन रिश्तों को भी भुलाते जा रहे हैं.जो हमारे जन्म होने के बाद या विवाह के बाद बनते हैं.वैसे तो हर एक इंसान का हर दुसरे इंसान से इंसानियत का रिश्ता है.मगर हम आज"इंसानियत" जैसे पवित्र शब्द की गरिमा को भुलाते जा रहे हैं."इंसानियत" जैसे पवित्र शब्द की गरिमा को बनाये रखने हेतु ही "प्रकाशन" परिवार ने एक ब्लॉग बनाकर अपने सभी रिश्तेदारों को एक मंच पर एकत्रित करने की एक छोटी-सी कोशिश की.
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बुधवार, अप्रैल 13, 2011
5 टिप्पणियां:
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बैसाखी की लख-लख बधाईयाँ
जवाब देंहटाएंबैसाखी की लख-लख बधाईयाँ एवं हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबैसाखी की बधाईयाँ
जवाब देंहटाएंबैसाखी की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआपको भी बैसाखी पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
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