
आज हाईटेक दुनियां की भाग-दौड़ में अपने प्रियजनों व रिश्तेदारों को भूलते जा रहे हैं.आज हम उन रिश्तों को भी भुलाते जा रहे हैं.जो हमारे जन्म होने के बाद या विवाह के बाद बनते हैं.वैसे तो हर एक इंसान का हर दुसरे इंसान से इंसानियत का रिश्ता है.मगर हम आज"इंसानियत" जैसे पवित्र शब्द की गरिमा को भुलाते जा रहे हैं."इंसानियत" जैसे पवित्र शब्द की गरिमा को बनाये रखने हेतु ही "प्रकाशन" परिवार ने एक ब्लॉग बनाकर अपने सभी रिश्तेदारों को एक मंच पर एकत्रित करने की एक छोटी-सी कोशिश की.
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शुक्रवार, दिसंबर 23, 2011
मित्रों के नाम के एक संदेश

2 टिप्पणियां:
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जवाब देंहटाएंI've got some suggestions forr your blog you might be
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